Tuesday 8 September 2015

The secret to happiness and peace is letting every situation be what it is, instead of what you think it should be, and making the best of it.
-marcandangel

Saturday 15 August 2015

स्वतंत्रता-इस वर्ष


आज स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ | मेरे पास कहने को कोई आदर्शवादी सन्दर्भ नहीँ है| इस लेख में मैं उत्कृष्ट कर्तव्यों कि शृंखला नहीँ लगाऊँगी | वो सब तो आप सब कहीं ना कहीं पढ़ या सुन ही लेते होंगे, जैसे कि मेरा भारत महान है, हमें गर्व होना चाहिए कि हम इस देश के नागरिक है, शहीदों कि कुर्बानी को सलाम, और ना जाने क्या क्या | मेरे अनुसार ये स्वतंत्रता कि परिभाषा नही है| 

आज के दिन सहसा ही हमारे भीतर देश भक्ति से पूर्ण विचारों का प्रवाह होने लगता हैं| किंतु क्या कभी हमने स्व्यं के भीतर टटोला है कि  हम इस दिन के पश्चात् आने वाले 364 दिवस क्यूँ अपने देश कि आलोचना में व्यतीत करते हैं ? हम सब अवगत हैं के अपने व्यस्त जीवन शैली से समय निकाल कर देश के प्रति समर्पित करना असाधारण ही होगा, और वास्तविकता में संभव नहीँ है | 

तो फिर क्या किया जाए ! कदाचित हम अपने देश कि दुसरे विकसित राष्ट्रों से तुलना करने के स्थान पर ये जानने का प्रयास करें के वहां ऐसा क्या हैं जो यहां नही, और इसे बेहतर बनाने के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं | हमारे पास तो अतिरिक्त रूप से हमारे संस्कारों का उत्तम भंडार हैं, जो कि केवल हमारे देश में ही है | उनकी संस्कृति में कितनी व्यधिया हैं जिसकी तुलना में हम एक बेहतर राष्ट्र हैं |

मुझे यह ज्ञात हैं कि आपको ज्ञात है कि आपको क्या करना चाहिए | ये सब बहुत ही छोटी सी बातें हैं जिनसे आप अवगत होंगे|

आदतन हम रास्ते पर कूड़ा बड़ी आसानी से फेंक देते हैं, और फिर गंदी सड़क के लिए प्रशासन को उत्तरदायी ठहराते है| हम धर्म के अन्धे प्रभाव में पड़ कर ना जाने अपने धार्मिक स्थलों पर कितना दान करते हैं, जब कि जरूरतमंद कोई अनाथ या भूखा व्यक्ति होता हैं | राह पर चल रहे स्वस्थ भिखारी को प्राय: स्व्यं कमाने के प्रोत्साहन कि बजाय पुण्य कमाने के प्रयोजन से सहायता दे देते हैं | सार्वजनिक स्थल पर किसी स्त्री के साथ हो रहे अपराध को मूक दर्शक बन कर निहारते है|  सड़क पर कोई हादसा या रंजिश हो रही हो तो मदद करने के स्थान पर अपने मोबाइल में तसवीरें कैद करने लगते हैं | रिश्वत स्वयं देते है और सरकार को भ्रष्ट होने का दोष देते हैं | यदि आप स्त्री हैं, चाहे बालिका, युवा या एक विवाहित नारी, हमारे साथ हो रहे अत्याचार या किसी अनुचित घटना को हम अपनी नियती मान कर सहन कर लेती हैं| हर समय आवाज़ उठाना ही आवश्यक नहीँ हैं, किन्तु स्मरण रहे- अत्याचार करने वाला तो अपराधी होता ही हैं, उसको सहन करने वाला उससे भी बड़ा अपराधी होता है | 

इस सब के बाद हम कहते हैं इस देश का कुछ नही हो सकता | निश्चित ही कुछ नही हो सकता यदि हम इन जैसे तथ्यों पर विचार ना करे, तो सच में नहीं हो सकता | जिन देशों से हम बराबरी कर के इस देश कि आलोचना करते हैं उन्हें स्वतंत्र हुए हमसे अधिक समय हो चुका हैं, इसलिए सब्र रखें और अपना कर्तव्य पूरा करें | और ये सब ना हो पाये तो सरकार या देश को नहीँ, स्वयं को दोष दें |

|| जय हिंद ||

Sunday 9 August 2015

Happy Ending?


All my life I craved for an Happy Ending,
As I grew old I would always wait for what is never ending,

Golden moments passed by which were very rare,
It was me who gave them hardly any care,

Now I wonder if I could get those moments all over again,
I've decided never to mourn in any pain,

The true wisdom dawned upon me sooner or later,
It's not the end, but the whole story that is dear.




Sunday 2 August 2015

दोस्ती की नन्ही सी परिभाषा- मैं शब्द तुम अर्थ, तुम बिन मैं व्यर्थ ।
-Anonymous