Saturday, 20 September 2014
Sunday, 7 September 2014
तुम्हारे बिना
Friday, 22 August 2014
वर्जनाएँ

माँ के गर्भ में खत्म नहींं होना चाहती हूँ,
उन हाथों को तोड़ना चाहती हूँ,
उन आंखों को फोड़ना चाहती हूँ,
उस संवेदनशून्य मनोवृत्ति का अंत देखना चाहती हूँ,
क्रीड़ा की वस्तु मात्र नहीं बनना चाहती हूँ,
उस अक्षम्य समाज कि वर्जनाएँ अब तोड़ना चाहती हूँ
Friday, 15 August 2014
बातें
कुछ लंबी होती हैं, कुछ छोटी,
कुछ ख्वाब में होती हैं, कुछ एहसास में,
कुछ दिल से होती हैं, कुछ दिमाग से,
कुछ हम सुनते हैं, कुछ अनसुनी करते हैं,
कुछ स्पष्ट होती हैं, कुछ दोहरी,
कुछ दिल को छु लेती हैं, कुछ रूह को तोड़ देती हैं,
कुछ सवाल छोड़ जाती हैं, कुछ जवाब बन जाती हैं...
Tuesday, 12 August 2014
मुसाफिर
चलते रहते हैं मुसाफिर, अपने आशियाने कि तलाश में.....क्या अचरज है,
ठहरते हैं कुछ अरसा, फिर जारी रखते हैं सफर को.....क्या अचरज है,
टकराती हैं राहें किसी मोड़ पर, मिलते हैं नसीब इत्तिफ़ाक़ से...क्या अचरज है,
हँसते हुए बढ़ जाते हैं आगे, क्योंकि मंज़िल तो सबकी मुख्तलिफ है....क्या अचरज है,
महज़ सामान है ज़स्बात, गठरी बाँधी और अगले सहर कोई और शहर...क्या अचरज है,
एतबार क्या करें किसी हमराही का, कल को ग़र गठरी उठाये हम ही चले जाए...
Saturday, 2 August 2014
नीर
Saturday, 7 June 2014
जुनून
साहिल पर बैठ क्यूं तेरी नाकामी पर अश्क बहता है,
टूटी है कश्ती तो मार ले गोता उस समंदर में,
तोड़ उसका गुरुर,भीगो दे उसे तेरे आँसुओं से,
ग़र कामयाबी का है जुनून, मुकम्मल कर तैराकी पर फ़तेह,
ग़र डूब गया तो ज़िंदगी भर का गुमान ना रहेगा,
उस पर्वर दीगर से सीना तान दलील तो कर सकेगा
Sunday, 11 May 2014
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मेरी माँ
मुझको हर पल मीठी डांट लगाती है मेरी माँ,
मुझको जीने का ढंग सिखाती है मेरी माँ,
मुझको चोट लगे तो ख़ुद दुःख पाती है मेरी माँ,
जहान में जिसका अंत नहीं, उसे कहते हैं माँ,
उनकी ममता कि छाओं में,
जाने कब खड़ी हुई मैं अपने पांव पे,
आँसू अपने गिरा कर हंसाया जिसने,
इतना दुलार कहाँ से लाती हैं मेरी माँ,
कितनी भोली कितनी प्यारी है मेरी माँ
Wednesday, 23 April 2014
Sunday, 13 April 2014
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बड़ी हठीली ये रात
बड़ी हठीली ये रात,
मधुर गजलों का है साथ,
गिराते हुए पलकों के पर्दे,
बुला रही है निंदिया रानी,
मंद मुस्कान लिए ये होँठ,
कह रहे थम जा तू ऐ रात,
बड़ी हठीली ये रात,
अंधियरे में फैला सन्नाटा,
टिक टिक करता घड़ी का काँटा,
दबे पाँव ही सही सवेरा तो आना है,
तेरी विदाई का क्षण तो आना है,
कुछ पल ठहर जा ऐ रात,
बड़ी हठीली ये रात,
एक नई रौशनी का होगा साथ,
जब बीत जायेगी तू ऐ रात,
खूबसूरत होगी वो सहर,
अनेक आशाओं को समेटे गोद में,
आ जायेगी वो सहर,
बड़ी हठीली ये रात,
मधुर गजलों का है साथ
Saturday, 22 February 2014
मन कहे मुझे उड़ने को
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को,
जो चाहे वो हासिल हो जाए,
जो पाए वो भी ख़्वाहिश बन जाए,
हाथ उठे दुआ माँगने को,
अगले ही पल वो इबादत कुबूल हो जाए,
मन कहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को,
जो लफ्जों में बायाँ हो वो अल्फाज ही क्या,
खामोशी कि ज़ुबान में कुछ बायाँ आज किया जाए,
दूर् से ही तारों को आज ताके कुछ यूँ,
उन्हें तोड़ने कि तमन्ना पुरी हो जाए,
दुनियाँ से लड़ने के बहाने हजारों हैं,
पहले ख़ुद से ही जीत लिया जाए,
उस अक्स कि झलक कुछ यूँ मिलें,
के ख़ुद के अश्क़ धूल जाए,
मन कहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को
Monday, 20 January 2014
तसवीरें
तसवीरें, यादों का आइना होती है,
वक्त को ख़ुद में किये ये क़ैद,
कभी गुद्गुदाती हैं,
और कभी आँसू दे जाती हैं,
कभी छोड़ जाती हैं एक मीठी मुस्कान,
और कभी दे जाती हैं बीते लम्हों को फिर जीने कि चाह,
ये गुजरते पलों को थाम लेती हैं,
ये ही तो हैं जो हमेशा साथ निभाती हैं
Wednesday, 18 December 2013
In: Birthday, celebrate, Happy, life, memories, My Birthday, poem

...And then I landed to the planet
and so much to thank the almighty,
HAPPY BIRTHDAY TO ME
Saturday, 27 July 2013
अपना इंदोर
Sunday, 27 January 2013
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